नई दिल्ली: देश के सात राज्यों के लाखों किसानों के 'गांव बंद' का आज दूसरा दिन है. आज शहरों में सप्लाई होने वाले दूध फल सब्ज़ी की सप्लाई आज से प्रभावित होनी शुरु हो सकती है. 130 किसान संगठनों के राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 'गांव बंद' घोषणा की है. देश के प्रमुख 30 हाइवे पर किसान आज धरने पर बैठेंगे. इनकी मांग है कि दूध का न्यूनतम मूल्य 27 रुपये लीटर उन्हें मिले साथ ही किसानों की क़र्ज़ माफ़ी हो और अनाज की सही कीमत उन्हें दी जाए. मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के तहत 'गांव बंद' के पहले दिन शुक्रवार को छोटे शहरों में इसका व्यापक असर रहा. किसी गांव से फल, सब्जियां व दूध शहर नहीं आया, जिससे लोगों को परेशानी हुई. शहरों में मौजूद सब्जियों के दाम बढ़ गए. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने 10 जून को भारत बंद का ऐलान किया है. पिछले साल 6 जून को मंदसौर जिले में किसानों पर पुलिस जवानों द्वारा की गई फायरिंग और पिटाई में सात किसानों की मौत की पहली बरसी पर किसानों ने 10 दिवसीय आंदोलन शुरू किया गया है.
आम किसान यूनियन के प्रमुख केदार सिरोही ने बताया, "किसान एकजुट हैं, वे अपना विरोध जारी रखे हुए हैं. 'गांव बंद' आंदोलन का असर साफ नजर आ रहा है. सरकार की हर संभव कोशिश है, इस आंदोलन को असफल करने की, लेकिन किसान किसी भी सूरत में सरकार के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं." सिरोही ने आगे बताया कि बीते साल की तुलना में इस बार किसान खुद गांव से बाहर निकलकर अपना सामान बेचने जाने को तैयार नहीं है. वह सरकार की नीतियों से इतना परेशान है कि वह किसी भी तरह का आर्थिक नुकसान उठाने में नहीं हिचक रहा है. पुलिस जरूर किसानों को भड़काने व उकसाने में लगी है, ताकि हालात बिगड़ें."
सरकार द्वारा इस आंदोलन को कांग्रेस का बताकर प्रचारित किए जाने को लेकर भी किसानों में नाराजगी है. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा का कहना है कि सरकार किसानों की बात न करके आंदोलन को लेकर भ्रम फैलाने में लगी है. सवाल यह नहीं है कि यह आंदोलन किसका है, सवाल यह है कि किसानों की जायज मांगें सरकार क्यों नहीं मान रही है.
Source:-NDTV
आम किसान यूनियन के प्रमुख केदार सिरोही ने बताया, "किसान एकजुट हैं, वे अपना विरोध जारी रखे हुए हैं. 'गांव बंद' आंदोलन का असर साफ नजर आ रहा है. सरकार की हर संभव कोशिश है, इस आंदोलन को असफल करने की, लेकिन किसान किसी भी सूरत में सरकार के आगे झुकने को तैयार नहीं हैं." सिरोही ने आगे बताया कि बीते साल की तुलना में इस बार किसान खुद गांव से बाहर निकलकर अपना सामान बेचने जाने को तैयार नहीं है. वह सरकार की नीतियों से इतना परेशान है कि वह किसी भी तरह का आर्थिक नुकसान उठाने में नहीं हिचक रहा है. पुलिस जरूर किसानों को भड़काने व उकसाने में लगी है, ताकि हालात बिगड़ें."
सरकार द्वारा इस आंदोलन को कांग्रेस का बताकर प्रचारित किए जाने को लेकर भी किसानों में नाराजगी है. राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा का कहना है कि सरकार किसानों की बात न करके आंदोलन को लेकर भ्रम फैलाने में लगी है. सवाल यह नहीं है कि यह आंदोलन किसका है, सवाल यह है कि किसानों की जायज मांगें सरकार क्यों नहीं मान रही है.
Source:-NDTV
View More About Our Services:-Mobile Database number Provider and Digital Marketing
Our Other Services:
No comments:
Post a Comment