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Monday, 11 June 2018

बिना टांगों के नक्‍सलियों के गढ़ में कोहराम मचाने के लिए फिर तैयार हुआ CRPF का 'शेर'

नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के जंगलों में सक्रिय नक्सलियों के लिए बुरी खबर है. करीब 21 महीनों तक नक्सलियों के सिर पर काल बनकर मंडराने वाला CRPF का शेर जल्द ही छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक बार फिर वापसी करने वाला है. छह महीने पहले हुये लैंड माईन ब्लास्ट ने भले ही CRPF के इस शेर से उसकी टांगों को छीन लिया हो, लेकिन अपने दृढ़संकल्प और कड़ी मेहनत के बदौलत वह एक बार फिर अपने पैरों (कृत्रिम) पर खड़ा होने में कामयाब हो गया है. CRPF का यह घायल शेर जल्द ही जंगल में खुद की वापसी करने वाला है. जंगल में वापसी के बाद वह खुद से बेहतर सैकड़ों शेरों को तैयार करने के मिशन में जुट जाएगा. सीआरपीएफ के नए शेरों को वह हर दांव पेंच सिखाएगा, जिनकी मदद से वह लगातार नक्सलियों को मात देता आया है. दरअसल हम CRPF के जिस घायल शेर की बात कर रहे हैं, उसका नाम कोबरा कमांडो रामदास है. जांबाज कोबरा कमांडो रामदास की गिनती CRPF के चुनिंदा कमांडोज में होती है. आइये आज हम आपको जांबाज कोबरा कमांडो की जिंदगी से जुड़े अतीत के कुछ पन्नों से रूबरू कराते हैं.

कमांडो रामदास की बाज सी निगाह, चीते सी फुर्ती और अचूक निशाने का CRPF में हर कोई कायल था. कमांडो रामदास के इसी हुनर को देखते हुए करीब ढाई साल पहले CRPF मुख्‍यालय ने उसका तबादला जम्‍मू कश्‍मीर से छत्‍तीसगढ़ के जंगलों में कर दिया गया था. CRPF मुख्‍यालय कमांडो रामदास के इस हुनर का इस्‍तेमाल नक्‍सलियों के सफाये में करना चाहता था. 20  फरवरी  2016 को कमांडो रामदास ने छत्‍तीसगढ़ में नक्‍सलियों से मोर्चा ले रही CRPF की कोबरा कमांडो टीम को ज्‍वाइन कर किया. ज्‍वाइनिंग के साथ कमांडो रामदास नक्‍सलियों के ऊपर कहर बन कर टूटे पड़े थे. बीते ढाई सालों में कमांडो रामदास ने अपने साथियों के साथ मिलकर कई बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें नक्‍सलियों को भारी जान और माल का नुकसान उठाना पड़ा. कमांडो रामदास का खौफ इस कदर नक्‍सलियों के दिलों दिमाग में छा चुका था कि वे किसी भी कीमत में कमांडो रामदास को अपने रास्‍ते से हटाना चाहते थे. CRPF के इस शेर को अपना निशाना बनाने के लिए नक्‍सली लगातार जाल बिछाते रहे, लेकिन कमांडो रामदास की सूझबूझ के चलते हर बार नक्‍सलियों को मुंह की खानी पड़ती थी. दुर्भाग्‍य से एक दिन ऐसा भी आया, जब‍ CRPF का यह शेर चूक गया. यह वाकया करीब छह महीने पहले छत्‍तीसगढ़ के किस्‍तराम और पलोड़ी के जंगलों में हुआ.

Source:-ZEENEWS

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