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Thursday, 7 June 2018

RSS के उस प्रोग्राम की खासियत जानें, जिसमें प्रणब मुखर्जी हिस्‍सा लेने पहुंचे

आरएसएस के निमंत्रण पर पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी उनके नागपुर स्थित हेडक्‍वार्टर में पहुंच चुके हैं. वह संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष के समापन समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में पधारे हैं. प्रणब मुखर्जी के संघ के किसी कार्यक्रम में शिरकत करने का कांग्रेस ने तो विरोध किया ही है, लेकिन उनके परिवार के भीतर बेटी शर्मिष्‍ठा ने भी उनके फैसले पर सवाल उठाए हैं. इस परिप्रेक्ष्‍य में यह जानना जरूरी है कि संघ का यह ऐसा कौन सा अहम कार्यक्रम है जिसमें उसने नेहरूवादी परंपरा के दिग्‍गज कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित किया है?

संघ शिक्षा वर्ग
यह तीन स्‍तरों का रिहायशी ट्रेनिंग कैंप होता है, जिनको देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में आयोजित किया जाता है. पहले शुरुआती हिस्‍से को प्राथमिक शिक्षा वर्ग कहा जाता है. यह सात दिन का कार्यक्रम होता है जो जिले स्‍तर पर आयोजित किया जाता है. उसके बाद पहले और दूसरे साल के कैंप प्रदेश स्‍तर पर आयोजित किए जाते हैं. उसके बाद तृतीय वर्ष वर्ग कैंप नागपुर में आयोजित होता है. पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने पहुंचे हैं.

तृतीय वर्ष वर्ग
संघ के संस्‍थापक डॉ हेडगेवार ने आरएसएस स्‍वयंसेवकों के लिए 1927 में ग्रीष्‍मकालीन ट्रेनिंग कैंप की शुरुआत की. उस दौरान एक मई-10 जून तक यह 40 दिनों का कार्यक्रम होता था और इसे 'समर कैंप' कहा जाता था. इसमें सुबह पांच बजे से लेकर रात नौ बजे तक विभिन्‍न कार्यक्रम होते थे.

बाद में इसको ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप(ओटीसी) कहा जाने लगा. ऐसा इसलिए क्‍योंकि ट्रेनिंग के माध्‍यम से ऐसे सक्षम कार्यकर्ताओं को तैयार करना था जो आरएसएस के मिशन को आगे बढ़ाने में सामर्थ्‍यवान थे. 1950 में इस शब्‍दावली को एक बार फिर से बदला गया और इसको 'संघ शिक्षा वर्ग' कहा जाने लगा. बाद के वर्षों में समर कैंप की अवधि को घटाकर पहले 30 दिन और फिर 25 दिन कर दिया गया. इसमें खास बात यह है कि इस तरह के कैंप में शामिल होने वाले कार्यकर्ताओं को यात्रा से लेकर रहने-खाने के संबंध में अपना खर्च खुद उठाना होता है.

नागपुर में कैंप की परंपरा
आरएसएस के इतिहास में नागपुर का विशिष्‍ट स्‍थान है. यहीं पर डॉ हेडगेवार ने रेशमबाग में जमीन का टुकड़ा खरीदकर आरएसएस की स्‍थापना की थी. यहीं पर उनकी 'समाधि' और 'स्‍मृति मंदिर' है. इसलिए स्‍वयंसेवक इस जगह को प्रेरणास्‍थल मानते हैं. इसलिए इस प्रोग्राम को हमेशा नागपुर में आयोजित किया जाता है.

Source:-ZEENEWS

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